प्रधानमंत्री को पीटता वीडियो
- Pawan Raj (filmmakerpawan@gmail.com)
- May 3, 2018
- 2 min read
भारत एक गणतंत्र देश है। गणतंत्र कहे तो जहाँ जनता का राज चलता है। और यहाँ के लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता वाद-प्रतिवाद तथा किसी भी विषय वस्तु पर सहमति और असहमति प्रकट करना है। एक आरोग्य लोकतंत्र के लिए यह बेहद जरुरी है की जनता अपने द्वारा चुने गए सरकार का संज्ञान ले; उसके अच्छे कामों को सराहे अथवा बुरे कामों की कड़ी निंदा करे वैसे ही जैसे हमारे गृहमंत्री राजनाथ सिंह करते है।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 में हमें अभिव्यक्ति की आज़ादी दी गयी है, और यह तंत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए बेहद ज़रूरी भी है। पर हमें नहीं लगता की हम कभी कभी इसका दुरूपयोग जमकर करते है और अपनी मर्यादाएँ लाँघ देते है? मैं बात करना चाहता हूँ एक एनिमेटेड वीडियो की जो आज कल फेसबुक पर बहुत देखी और शेयर की जा रही है। इस वीडियो में एक डब्ल्यू.डब्ल्यू.ई का पहलवान हमारे देश के प्रधानमंत्री को बुरी तरह पीटता दिख रहा है। यह वीडियो किसी शगुफ्ता खान नामक महिला के फेसबुक अकाउंट से पोस्ट किया गया है; जो की अब ट्रेंड कर रहा है।
प्रधानमंत्री की आलोचना और उनके कार्यों पर विवेचना करना बढ़िया है। लेकिन इस तरह के वीडियो बनाकर इसका इस प्रकार प्रचार प्रसार करना सरासर गलत है। चाहे आप प्रधानमंत्री के कार्यकाल से संतुष्ट हो या ना हो। प्रधानमंत्री का ओहदा उच्चतम पदों में से एक होता है। वे पक्ष के एवं हमारे द्वारा चुने गए सरकार के नेता होते है।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि यह पद संवैधानिक है और इसपर पदासीन व्यक्ति पर इतने भद्दे तरीके से भद्दा वीडियो बनाकर आलोचना करना, आलोचना करने के मापदंडों में बिल्कुल सटीक नहीं बैठता। और इनका इस प्रकार से परिहास उड़ाने का स्पष्ट मतलब है संविधान का अनादार करना।
देश में वैसे ही असहिष्णुता एक विस्तारित रूप ले चुका है। चाहे पर्यावरण की बात हो या महिलाओं के यौन उत्पीड़न अथवा दिन दहाड़े लूटपाट और हत्या की, हम इन सब में से किन्ही चीज़ों पर भी काबू नहीं पा पा रहे है। और फिर ऐसे नाजुक समय में देश का माहौल क्यूँ बिगाड़ा जा रहा है, यह कितना गलत है और कितना सही यह सवाल मैं आप पर छोड़ रहा हूँ। देश में रोष की स्थिति काफी बढ़ गई है, गुट बनते और लोग भेड़ में तब्दील होते जा रहे है जो की एक बड़े चिंता का विषय है।
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