ग से 'गुरु और गाली'
- Pawan Raj
- Nov 4, 2017
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अरस्तु ने भी न क्या खूब फ़रमाया है की 'जन्म देने वालों से अधिक अच्छी शिक्षा देने वालों का सम्मान होना चाहिए; क्योंकि हमारे माँ-पापा ने तो बस जन्म दिया है ,पर वो गुरु है जिन्होंने हमें जीना सीखाया है।पर आज शायद हम इनकी महत्ता और लगन को लगातार नजर अंदाज कर रहे है। यह वो कुम्हार है जो एक अबोध को अपने ज्ञान से आकार देते है। इस उम्मीद में की शायद उनका ये खूबसूरत घड़ा अपने कर्म से अपने जीवन में कुछ अच्छा करे।

पर क्या मैं आज के अध्येता के समझ के बारें में बताऊँ? आज हम दिखावे की दुनिया में जी रहे है। अरे भाईसाहब, हमें 'कूल' होने का तमगा जो चाहिए। इसलिए कोई एक सखा किसी शिक्षक को बुरा भला बोल रहा हो तो हम उसे टोकने के सिवाय उसे बढ़ावा देते है। तो मेरे प्यारे मीत, यह जान लो की इससे तुम 'कूल' दिखो न दिखो पर मूर्ख जरूर प्रतीत होते हो। अब पूछो कैसे? ऐसे की गुरु का स्थान हमारे माँ-पापा और भगवन से भी ऊपर माना जाता है, और जो इंसान बिना सोचे समझे असाइनमेंट्स के हल्के दवाब में आकर अपने शिक्षक को गालियाँ दे सकता है तो, मुझसे लिखवा कर ले लो उस लड़के के माँ-पापा आने वाले समय में ‘ओल्ड ऐज होम’ में रहने वाले है। माफ करना अंकल-आंटी पर यही सच्चाई है।

हमें यह समझना होगा कि हमारे शिक्षक हमारे दुश्मन नहीं है, बिलकुल भी नही। हमें जीवन जीने का वो सलीका देते है। माना की जिस प्रकार पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होती वैसे ही सारे शिक्षक भी हमारे एक जैसे नहीं हो सकते, पर वो जैसे है वैसे ठीक है। और अगर किसी को बदलने की ज़रूरत है भी तो वह हमें और हमारी मानसिकता को है।

पता है? ज्ञान-कठोरता-दयालुता का संगम होते है हमारे गुरु। हमें जरा सा भी ताज्जुब नहीं होता की राम, कृष्ण, अर्जुन और युद्धिष्ठिर जैसे महान पुरुष का निर्माण कैसे हुआ? वो राम राज्य क्यूँ कहलाया? क्यूँ उनके आदर्श पर दुनिया चलती है? इसलिए नहीं की उनमे दैवीय शक्ति थी अपितु वो अपने गुरु के दिए ज्ञान को गेंठी बाँध कर याद रखते थे। सम्मान इतना ज्यादा करते थे की माँगने पर अपना अँगूठा काट कर दे देते थे। हमारी तरह बिना माँगे गालियाँ नहीं देते थे।

हम अपनी बुद्धि और विवेक से काम लेना सीखे वरना भेड़ चाल चलने का परिणाम अंततः बुरा ही होता है। मैं फिर दोहराता हूँ की गाली-गलौज करना आपको कूल नहीं दर्शाता है बल्कि ये आपके पालन पोषण को दिखता है। तो अगली बार गाली बकने से पहले ठहरो, सोचो, मुस्कुराओ और अच्छे वचन बोलो। आशा करो की हमारे गुरुजन हमारी गलती को पुनः माफ कर देंगे।

सर/मैम,
अपने बच्चों को माफ़ कर दीजिएगा न ?
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